सूरदास सफ़रनामा
कहावत ऐसे दानी दानि
कहावत ऐसे दानी दानि।
चारि पदारथ दिये सुदामहिं, अरु गुरु को सुत आनि॥
रावन के दस मस्तक छेद, सर हति सारंगपानि।
लंका राज बिभीषन दीनों पूरबली पहिचानि।
मित्र सुदामा कियो अचानक प्रीति पुरातन जानि।
सूरदास सों कहा निठुरई, नैननि हूं की हानि॥
Zakirhusain Abbas Chougule
11-May-2022 07:59 PM
Nice
Reply